World Human Rights Day 2020: अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 2020

मानवाधिकार का प्रतिक चिन्ह

World Human Rights Day 2020: अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 2020

10 दिसंबर को प्रतिवर्ष पूरी दुनिया में मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1948 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर को हर साल इसे मनाये जाने की घोषणा की गयी थी।  संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में मानव अधिकार दिवस आधिकारिक तौर पर 1950 में 4 दिसंबर को स्थापित किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस’ (International Human Rights Day) मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी सदस्य देशों को 1950 में आमंत्रित किया। जिसके बाद महासभा ने 423 (V) रेज़्योलुशन पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की थी।

मानवाधिकार दिवस को मनाने के कारण और उद्देश्य

मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। मानव अधिकार वे मूलभूत नैसर्गिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल, जाति, राष्ट्रीयता, धर्म, लिंग आदि के आधार पर वंचित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता.

मुख्य मानव अधिकार

मानव अधिकार का अर्थ उन मूल अधिकारों से है, जो सभी को समान रुप से जीवन जीने, स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और एक समान व्यवहार की प्राप्ति का अधिकार प्रदान करता है। ऐसे में कुछ ऐसे मौलिक अधिकार है जो हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है, यह नियम सभी समान्य नागरिकों, युद्ध बंदियों तथा कैदियों तक के लिए बनाए गये है: –

  • बोलने की आजादी
  • आजादी और सुरक्षा का अधिकार
  • आर्थिक शोषण के खिलाफ आजाव उठाने का अधिकार
  • रंग, नस्ल, भाषा, धर्म के आधार पर समानता का अधिकार
  • कानून के सामने समानता का अधिकार
  • कानून के सामने अपना पक्ष रखने का अधिकार
  • अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार

भारत में मानवाधिकार

 

भारत में मानवाधिकार कानून 28 सितंबर 1993 को लागू किया गया।  जिसके बाद सरकार ने 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया।  मानवाधिकार आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्षेत्रों में भी काम करता है। जैसे मज़दूरी, HIV एड्स, हेल्थ, बाल विवाह, महिला अधिकार आदि में  मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।

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