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दांडी यात्रा Dandi March
Infotab : (Dandi March ) 12 मार्च 2021 को दांडी यात्रा की 91वीं सालगिरह है साथ ही 15 अगस्त 2021 को आजादी के 75 साल पूरे होने जा रह हैं। इस खास अवसर की वजह से भारत सरकार की ओर से आजादी के 75 साल पूरे होने के 75 सप्ताह पहले 12 मार्च को आजादी का अमृत महोत्सव शुरू किया जा रहा है।
12 मार्च (12 March) 2021 को पूरे 91 वर्ष हो चुके हैं, किंतु आज भी इस तारीख की यादें धुंधली नहीं हुई हैं, हो भी कैसे 12 मार्च की तारीख भारत के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण है। भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन (National Independence Movement) में इस तारीख को बहुत अहम माना जाता है। आज ही के दिन मतलब 12 मार्च को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) द्वारा अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा (Dandi March) की शुरुआत की गई थी। इस यात्रा का उद्देश्य नमक कानून को तोड़ना था जो अंग्रेजों के खिलाफ देश भर में विरोध का एक बड़ा संकेत था। इसकी शुरुआत भारत की स्वतंत्रता के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन के आगाज के साथ की गई।
आंदोलन की योजना
महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों के बनाए गये अव्यवहारिक और अन्यायपूर्ण नमक कानून की खिलाफत को अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार की तरह उपयोग किया गया। दांडी यात्रा योजना बनाकर की गई थी, सभी कांग्रेस के नेताओं की भूमिकाएं तय गई थीं। इसके साथ ही यह योजना में शामिल था कि यदि यात्रा के दौरान अंग्रेजों ने नेताओं की गिरफ्तारी की तो कौन से कौन से नेता यात्रा को संभालेंगे। दांडी यात्रा को देश भर में जन समर्थन मिला और जैसे जैसे यात्रा आगे बढ़ती गई बहुत सारे लोग जुड़ते चले गए.
दांडी यात्रा कुल समय और दुरी
दांडी यात्रा में गांधीजी द्वारा अपने 79 साथियों के साथ 386 कोलीमीटर लंबी यात्रा तय की गई और नवसारी के एक छोटे से गांव दांडी पहुंचे जहां समुद्री तट पर पहुंचने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। यात्रा में गाँधी जी और उनके साथियोंं द्वारा प्रतिदिन 16 किलोमीटर चल कर 6 अप्रेल को कुल 25 दिन में यात्रा पूरी की।
गाँधी जी को जन समर्थन
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में 12 मार्च 1930 को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, साथ ही आजादी की लड़ाई में इस दिन को अहम पड़ाव माना जाता है।
इससे पूर्व भी स्वतंत्रता आंदोलन के तहत वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया गया था, जो चौरीचौरा कांड के कारण सफल नहीं हो पाया। इसके बाद दांडी यात्रा ही पहला अवसर था जिसमें इतना बड़ा जनआंदोलन खड़ा हुआ और लोगों ने गाँधी जी का भरपूर साथ दिया साथ ही आंदोलन पूरी तरह अहिंसक रहते हुए सफल रहा।
गांधी जी के हथियार – अहिंसा
अंग्रेजो द्वारा दांडी यात्रा खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर गिरफतारियां की गई, कांग्रेस के सभी बड़े नेता गिरफ्तार होते रहे, लेकिन आंदोलनकारियों और उनके समर्थकों ने किसी तरह से हिंसा का सहारा नहीं लिया। यहां तक कि अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर ने अंग्रेजों के सत्याग्रहियों पर हुए अत्याचार की कहानी दुनिया के सामने रखी तो पूरी दुनिया में ब्रिटिश साम्राज्य की बहुत बेइज्जती हुई।
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भारतीय स्वतंत्रता की नींव
इस आंदोलन का समापन गांधी इरविन समझौते के साथ हुआ, इसके बाद अंग्रेजों ने भारत को स्वायत्तता देने के बारे में विचार करना शुरू कर दिया था। 1935 के कानून में इसकी झलक भी देखने को मिली और सविनय अवज्ञा की सफलता के विश्वास को लेकर गांधी जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने को मजबूर होना पड़ा
दांडी मार्च के प्रमुख तथ्य Important facts of Dandi March
दांडी यात्रा कुल 386 किलोमीटर चलकर पूरी की गई।
दांडी यात्रा को नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है।
दांडी यात्रा के दौरान लगभग 8000 भारतीयों को जेल में डाला गया था।
सत्याग्रह आगे भी जारी रहा और एक साल बाद महात्मा गांधी की रिहाई के साथ खत्म हुआ।
गांधी जी ने नमक हाथ में लेकर कहा था कि इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं।
दुनिया के सर्वाधिक प्रभावशाली आंदोलनों में ‘नमक सत्याग्रह’ भी शामिल है।